Date: Sun, May 3, 2020 at 10:59 AM
Subject: शुभ-मंगलकी सौगात देने वाली तालियां खामोश हैं, अब तो हाथ जोड़कर येकिन्नर कर रहे बस ये अपील
To: <cmup@nic.in>
Cc: <dmvar@nic.in>, lenin <lenin@pvchr.asia>
सेवा में,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तरप्रदेश सरकार,
लखनऊ |
महोदय,
हम आपका वाराणसी न्यूज़ में दिनांक 2 मई, 2020 को प्रकाशित ख़बर शुभ-मंगल की सौगात देने वाली तालियां खामोश हैं, अब तो हाथ जोड़कर ये किन्नर कर रहे बस ये अपील https://varanasinews.today/varanasi-news/the-blessings-of-auspiciousness-are-silent-now-these-people-are-folding-their-hands-with-just-this-appeal/ की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ|
अख़बार में प्रकाशित ख़बर के अनुसार शहर के हुकुलगंज इलाके में रहने वाली सुंदरी किन्नर के साथ 30 किन्नर और रहती हैं जो बधाई गाने और ट्रेन में मांगने का काम करती हैं। सुंदरी ने बताया कि लॉकडाउन देश की आवश्यकता थी और यह लगाकर मोदी जी ने बहुत ही सही फैसला लिया पर ये इतने दिन रहेगा इस बात का हमे तनिक भी अंदाज़ा नही था। हमारे सारे काम बंद हैं ना कहीं मांगलिक आयोजन हो रहे हैं और नाही कहीं किसी के यहां संतान होने पर हम जा पा रहे हैं। साथ ही ट्रेन भी बंद है। ऐसे में हमारे सामने खाने के लाले पड़े हैं।
सुंदरी के साथ रहने वाली नाज़िया किन्नर की आंखें मीडिया को देख छलक उठीं। नाज़िया ने हांथ जोड़कर विनती की कि शासन हमारी मदद करे। हम किराए के मकान में रहते हैं। 38 दिन से हमारी कमाई शून्य है। राशन की किल्लत सबसे ज़्यादा है। सब समाज की तरह हमारे समाज के लिए भी अधिकारी सोचें और हमे सुविधा उपलब्ध कराएं।
सुंदरी किन्नर ने बताया कि आस-पास के गरीबों की हम लोगों ने मदद की लेकिन अब हमारे पर अपना खुद का घर चलाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमारी मदद स्थानीय प्रशासन को करना चाहिए।
ट्रांस जेंडर के लिए कानून बनाकर सरकारें शायद उन्हें भूल गयी हैं। तभी हर वार्ड से बनी लिस्ट राशन के लिए इनका नाम पार्षदों ने नहीं भेजा। या फिर किसी अधिकारी को इनका ख्याल नही आया। फिलहाल इन सभी को सरकारी मदद की आस है और हमे उम्मीद है कि स्थानीय प्रशासन इनकीं हर संभव मदद करेगा।
अतः आपसे निवेदन है कि उक्त मामले में अविलम्भ कार्यवाही का आदेश करे जिससे किन्नर समुदाय को राहत सामग्री उपलब्ध करा सके|
भवदीय
लेनिन रघुवंशी
संयोजक
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
शुभ-मंगल की सौगात देने वाली तालियां खामोश हैं, अब तो हाथ जोड़कर ये किन्नर कर रहे बस ये अपील
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May 2, 2020
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वाराणसी। लॉकडाउन लगते ही गरीबों की मदद करने के लिए हजारों हाथ देश और शहर में उठे। लोग दिन रात मेहनत कर घूम घूम कर ज़रूरतमंदों को राशन और भोजन बांटते देखे गए। ज़िला प्रशासन ने भी लोगों को राशन की किट बंटवाई पर आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें कोई भी मदद नही मिली, जबकि उनकी आय का साधन बंद हुए आज 38 दिन हो गए हैं।
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हम बात कर रहे समाज से तिरस्कृत उस समुदाय की जिन्हें हम और आप किन्नर के नाम से जानते हैं। ज़्यादातर किन्नर ट्रेनों में तालियां बजाकर और किसी के जन्म पर उस घर में नाच गाकर अपना जीवन यापन करते हैं, पर लॉकडाउन में इनकी स्थिति बदतर होती जा रही है। पेश है Live VNS की एक खास रिपोर्ट।
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मुम्बई जाने वाली ट्रेनें हो या गुजरात या फिर कोलकाता… जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म से निकलती है उसपर किन्नर चढ़ते हैं और फिर हर जनरल और स्लीपर बोगी से एक ही आवाज़ आती है 'ए चिकने चल निकाल न, बीवी के लिए कितना ले कर जाएगा।' ये किन्नर सभी से 10 रुपये लेकर ही संतुष्ट हो जाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन लॉकडाउन में उनकी क्या हाल हुई है, जबकि ट्रेन का पहिये थमे हुए हैं।
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इसके अलावा किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं हो रहे, जो हो रहे हैं वो घरों की चाहरदीवारी में सीमित हैं, जिससे किन्नर बधाई गाने भी नही जा पा रहे हैं। इस मुश्किल को खत्म करने के लिए टीम Live VNS किन्नरों के हाल जानने उनके बसेरे पर पहुंची।
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शहर के हुकुलगंज इलाके में रहने वाली सुंदरी किन्नर के साथ 30 किन्नर और रहती हैं जो बधाई गाने और ट्रेन में मांगने का काम करती हैं। सुंदरी ने बताया कि लॉकडाउन देश की आवश्यकता थी और यह लगाकर मोदी जी ने बहुत ही सही फैसला लिया पर ये इतने दिन रहेगा इस बात का हमे तनिक भी अंदाज़ा नही था। हमारे सारे काम बंद हैं ना कहीं मांगलिक आयोजन हो रहे हैं और नाही कहीं किसी के यहां संतान होने पर हम जा पा रहे हैं। साथ ही ट्रेन भी बंद है। ऐसे में हमारे सामने खाने के लाले पड़े हैं।
सुंदरी ने बताया कि पूरे देश मे सरकारी मदद की जा रही है। हमे सरकारों ने वोट देने का अधिकार तो दिया है पर हमें लाभ नही दिया। आज तक किसी भी अधिकारी ने हमारी सुध नही ली कि आखिर किन्नर समुदाय क्या कर रहा है।
ट्रेन में मांगने वाली किन्नर शिवानी ने बताया कि हम ट्रेन मांगने का काम करते हैं। ट्रेन बंद होने से खाने की दिक्कत होने लगी है अब। आज तक न किसी संस्था ने हमारी मदद की और ना ही कोई प्रशासनिक मदद मिली। हम चाहते हैं कि हमारी भी सरकार सोचे और हमारे समाज के लिए कोई व्यवस्था करे।
सुंदरी के साथ रहने वाली नाज़िया किन्नर की आंखें मीडिया को देख छलक उठीं। नाज़िया ने हांथ जोड़कर विनती की कि शासन हमारी मदद करे। हम किराए के मकान में रहते हैं। 38 दिन से हमारी कमाई शून्य है। राशन की किल्लत सबसे ज़्यादा है। सब समाज की तरह हमारे समाज के लिए भी अधिकारी सोचें और हमे सुविधा उपलब्ध कराएं।
सुंदरी किन्नर ने बताया कि आस-पास के गरीबों की हम लोगों ने मदद की लेकिन अब हमारे पर अपना खुद का घर चलाने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमारी मदद स्थानीय प्रशासन को करना चाहिए।
ट्रांस जेंडर के लिए कानून बनाकर सरकारें शायद उन्हें भूल गयी हैं। तभी हर वार्ड से बनी लिस्ट राशन के लिए इनका नाम पार्षदों ने नहीं भेजा। या फिर किसी अधिकारी को इनका ख्याल नही आया। फिलहाल इन सभी को सरकारी मदद की आस है और हमे उम्मीद है कि स्थानीय प्रशासन इनकीं हर संभव मदद करेगा।
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