अति महत्वपूर्ण
सेवा में, 1 अप्रैल, 2020
माननीय मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ |
महोदय,
आपका ध्यान दिनांक 31 मार्च, 2020 के ऑनलाइन समाचार पोर्टल “www. thewirehindi.com” के इस खबर “कोरोना लॉकडाउन: पहले से बदहाल पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों पर दोहरी मार” की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ | बीते एक साल से ज़्यादा समय से मुश्किल में चल रहे पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों के लिए कोरोना के मद्देनज़र हुआ लॉकडाउन संकट बनकर उभरा है. कोरोना संक्रमण के डर से जहां मुर्गों की मांग घटी, वहीं लॉकडाउन के चलते अंडा उत्पादकों को ख़रीददार नहीं मिल रहे हैं.
लॉकडाउन के चलते उत्पादकों के फार्म पर लाखों अंडे बेकार पड़े हैं. उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं. उनका डर है कि यही हालात रहे तो ये अंडे सड़कर खराब हो जाएंगे और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
लेयर और पोल्ट्री फार्म से जुड़े सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. दोनों व्यवसायों से जुड़े किसान को लाखों का नुकसान हुआ है और वे बैक से लिए गए कर्ज की किश्त तक नहीं दे पा रहे हैं.
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि अविलम्ब इस व्यवसाय से जुड़े मजदूरों को भी रहत पॅकेज के साथ साथ आर्थिक मदद करने हेतु सम्बंधित अधिकारियो को निर्देशित करने की कृपा करे |
संलग्नक :
भवदीय
डा0 लेनिन रघुवंशी
सीईओ
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
+91-9935599333
कोरोना लॉकडाउन: पहले से बदहाल पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों पर दोहरी मार
BY मनोज सिंह ON 30/03/2020 •
बीते एक साल से ज़्यादा समय से मुश्किल में चल रहे पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों के लिए कोरोना के मद्देनज़र हुआ लॉकडाउन संकट बनकर उभरा है. कोरोना संक्रमण के डर से जहां मुर्गों की मांग घटी, वहीं लॉकडाउन के चलते अंडा उत्पादकों को ख़रीददार नहीं मिल रहे हैं.
फोटो: पीटीआई
कोरोना महामारी और उसको रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से पूर्वांचल के लेयर और पोल्ट्री फार्म वाले बर्बाद हो गए है. पिछले एक वर्ष से अधिक समय से संकट में चल रहे अंडा उत्पादकों के लिए कोरोना और लॉकडाउन दोहरी मार लेकर आया है.
लॉकडाउन के चलते उत्पादकों के फार्म पर लाखों अंडे बेकार पड़े हैं. उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे हैं. उनका डर है कि यही हालात रहे तो ये अंडे सड़कर खराब हो जाएंगे और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
पोल्ट्री फार्म के मालिकों का कहना है कि उनके लिए मुर्गों को दाना खिलाना तक मुश्किल हो गया.
कोरोना संक्रमण के डर से होली से पहले ही लोग चिकेन खाने से कतराने लगे थे. इस कारण मुर्गों की मांग घटती गई. हालात इतने खराब हो गए कि पोल्ट्री फार्म मालिकों ने 20 रुपये किलो मुर्गा बेच कर अपना फार्म बंद कर दिया है.
कई पोल्ट्री फार्म मालिकों ने मुफ्त में लोगों में मुर्गा बांट दिए और चूजों को इधर-उधर फेंक दिया.
लेयर और पोल्ट्री फार्म से जुड़े सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. दोनों व्यवसायों से जुड़े किसान को लाखों का नुकसान हुआ है और वे बैक से लिए गए कर्ज की किश्त तक नहीं दे पा रहे हैं.
अच्छी शुरुआत के बाद पड़ी महंगाई की मार
उत्तर प्रदेश कुक्कुट नीति 2013 की वजह से प्रदेश में छोटे लेयर फार्मों की स्थापना बड़ी संख्या में हुई और प्रदेश में अंडे का उत्पादन काफी बढ़ा. तमाम लेयर फार्म मालिकों ने लेयर फार्म के साथ पोल्ट्री फार्म भी स्थापित किया.
ज्ञात हो कि लेयर फार्मिंग का अर्थ अंडे के लिए होने वाले मुर्गीपालन से है, वहीं पोल्ट्री फार्म में चिकेन यानी मांस के लिए मुर्गीपालन होता है.
पिछले छह वर्षो में गोरखपुर मंडल के चार जिलों- गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज में 200 से अधिक लेयर फार्मो की स्थापना हुई.
लेयर फार्म स्थापित करने वाले अधिकतर युवा हैं जिन्होंने बैंकों से ऋण लेकर अपना कारोबार शुरू किया. गोरखपुर में 24 लेयर फार्म 50 हजार बर्ड की क्षमता के स्थापित हुए जबकि 10 हजार बर्ड की क्षमता वाले लेयर फार्मों की संख्या पांच दर्जन से अधिक हैं.
गोरखपुर मंडल में स्थापित लेयर फार्मो की उत्पादन क्षमता 25 लाख अंडा प्रतिदिन है. कई ऐसे बड़े लेयर फार्म हैं जो एक दिन में एक लाख अंडा उत्पादित करते हैं. दस हजार से 20 हजार प्रतिदिन अंडा उत्पादित करने वाले फार्मों की संख्या अधिक है.
गोरखपुर जिले में भटहट, बासगांव, कुशीनगर जिले में जगदीशपुर, महराजगंज में पनियरा आदि क्षेत्रों में कई लेयर फार्म स्थापित किए गए.
शुरू में तो कारोबार बहुत अच्छा चला लेकिन सरकार की ओर से संरक्षण न मिलने से उनकी हालत खस्ता होने लगी.
उन पर सबसे अधिक मार तब पड़ी जब सरकार ने मक्का और सोया की एमएसपी बढ़ा दी, जिसके कारण मुर्गी दाने के दाम काफी बढ़ गये. इससे मुर्गी दाना यानी फीड का दाम 25 रुपये किलो हो गया है जो 2018 में 19 रुपये ही था.
पूर्वांचल अंडा उत्पादक कृषक कल्याण समिति के अमित सिंह विसेन, ओमर अहमद , सोबूर अहमद ने बताया कि मक्का और सोया के रेट में इजाफे के साथ-साथ खाने (फीड) में लगने वाली हर चीज का दाम वर्ष 2019 में काफी बढ़ गया.
इससे एक अंडे के उत्पादन में ब्रीडिंग, फीड, दवा, लेबर चार्ज, बिजली और लोन की किश्त मिलाकर 4.25 रुपये खर्च आने लगा और जबकि अंडा उत्पादक मार्च 2019 से 3.25 रुपये प्रति अंडा बेचने का मजबूर हुए.
इस तरह दस हजार बर्ड के लेयर फार्म वाले किसानों को प्रतिदिन 9 हजार रुपये और महीने में 2.70 लाख रुपये का घाटा हुआ. बढ़ते घाटे के कारण लेयर फार्म मालिकों ने अंडे का उत्पादन घटाना शुरू किया.
गोरखपुर मंडल के लेयर फार्मों की क्षमता हर रोज 25 लाख उत्पादन की है लेकिन कारोबार में घाटे के कारण उन्होंने उत्पादन क्षमता लगभग आधी कर दी, फिर भी संकट से उबर नहीं पाए.
अंडा उत्पादकों ने सरकार से राहत की मांग की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने धरना-प्रदर्शन किया, मंत्रियों और अफसरों से मिलकर मांग पत्र दिया.
मांग थी कि सरकार खुद अंडे का मूल्य निर्धारित करे जो कि हरियाणा-पंजाब के बड़े अंडा उत्पादक करते हैं. सरकार अंडे का एमएसपी तय करे, मक्का और सोया पर सब्सिडी दे या सब्सिडी पर फीड उपलब्ध कराने में मदद करे. साथ ही अन्य राज्यों की तरह यूपी में मध्यान्ह भोजन योजना में अंडा भी शामिल किया जाए.
सरकार ने उनकी एक भी मांग नहीं मानी जिससे उनकी हालत खराब होती चली गयी. कई अंडा उत्पादकों ने बढ़ते घाटे के कारण अपना कारोबार बंद कर दिया.
कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से पड़ी दोहरी मार
कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन से अंडा उत्पादकों पर दोहरी मार पड़ी है. 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद से ही बाजार पूरी तरह बंद हैं. अंडों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
लेयर फार्म मालिक ओमर अहमद ने बताया कि दस हजार बर्ड वाले लेयर फार्म का प्रतिदिन का खर्चा 30 हजार है. अब तो मुर्गी दाना भी नहीं मिल पा रहा है. आज की स्थिति में उनके सामने लेयर फार्म बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं हैं. फार्म पर अंडे डम्प पड़े हुए हैं.
उन्होंने बताया कि कमिश्नर से बात करने पर कई लेयर फार्म मालिकों को पास जारी किए गए हैं और अंडों की गाड़ियों को न रोकने का भी आदेश दिया गया है लेकिन आखिर वे अंडे किसे बेचें!
वे कहते हैं कि सभी बाजार बंद हैं. ठेले पर अंडा लगाने वाले घर बैठे हैं. यही हालात रहे तो फार्म पर डम्प अंडे सड़ जाएंगे और वे पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे.
पोल्ट्री फार्म वालों का तो और भी बुरा हाल है. कोरोना संक्रमण की अफवाह के कारण लोगों ने इस महीने के आरंभ से ही चिकेन खाने से परहेज शुरू कर दिया था.
पोल्ट्री फार्म वालों ने होली के मद्देनजर बड़ी संख्या में मुर्गे तैयार किए थे लेकिन उनकी बिक्री बहुत कम हुई. होली में मुर्गे 30-40 रुपये किलो बिके.
इसके बाद हालात सुधरने के बजाय बिगड़ते चले गए. कई पोल्टी फार्म वालों ने अपने सभी मुर्गे 20 रुपये किलो बेचकर खाली कर दिए.
गोरखपुर के कुतबुद्दीन अंसारी उर्फ मेठी भाई ने बताया कि उनके तीन पोल्ट्री फार्म हैं. वह रिटेलर भी हैं.
उन्होंने लॉकडाउन के पहले 20 रुपये में सभी मुर्गे बेचकर अपना फार्म बंद कर दिया. उनके अनुसार गोरखपुर शहर में रोज 300 से 400 क्विंटल मुर्गे की खपत होती थी.
मेठी भाई ने तो अपना पोल्ट्री फार्म बंद कर दिया लेकिन कई ऐसे पोल्ट्री फार्म मालिकों के पास सैकड़ों क्विंटल मुर्गे मौजूद है.
लॉकडाउन के कारण पोल्ट्री फार्म वालों को मुर्गों को खिलाने के लिए दाने नहीं मिल रहे हैं. दानों की आपूर्ति बंद है.
महराजगंज जिले के पनियरा क्षेत्र के पोल्ट्री फार्म मालिक छविलाल ने शुक्रवार को अपने फार्म के 30 क्विंटल मुर्गे लोगों में बांट दिए. इस क्षेत्र के दो और पोल्ट्री फार्म वालों ने भी यही काम किया.
कई पोल्ट्री फार्म वालों ने अपने चूजों को इधर-उधर फेंक दिया. पिछले सोमवार को गोरखपुर के सुभाषनगर के पास बंधे पर किसी पोल्ट्री फार्म वाले ने एक ट्रक चूजे फेंक दिए गए, जहां से इन्हें गांव के लोग उठा ले गए.
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