Date: Sat, Mar 28, 2020 at 1:26 PM
Subject: अति महत्वपूर्ण : "झारखंड लॉकडाउन: 236 परिवारभुखमरी के शिकार, मदद नहीं, मिली फटकार"
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अति महत्वपूर्ण
सेवा में, 27 मार्च, 2020
श्रीमान अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली |
महोदय,
आपका ध्यान दिनांक 27 मार्च, 2020 के ऑनलाइन समाचार पोर्टल "क्विंट हिंदी" के इस खबर "झारखंड लॉकडाउन: 236 परिवार भुखमरी के शिकार, मदद नहीं, मिली फटकार" की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ | झारखंड के सरायकेला जिले में रहने वाले 236 कर्मचारी टायो कंपनी में काम करते थे | लेकिन साल 2016 में ये कंपनी अचानक बंद हो गई | सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए, इसके बाद पेट की खातिर इन लोगों ने दिहाड़ी मजदूरी करनी शुरू कर दी | जिससे किसी तरह दो टाइम की रोटी नसीब होने लगी | इन लोगों ने इससे पहली की झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास 15 बार मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली |
अब कोरोनावायरस को लेकर चल रहे लॉकडाउन की वजह से इनके घरों में भुखमरी की स्थिति उतपन्न हो गई है | लॉकडाउन के बाद इन्होंने मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन से भी मदद मांगी लेकिन फिलहाल तो वहां से भी निराशा ही हाथ लगी | इसके साथ ही जब इन लोगो ने स्थानी प्रशासन डीसी महोदय से मदद माँगी तो उन्होंने भी मदद करने व राशन उपलब्ध कराने से मन कर दिया |
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि इन मजदूरों को अविलम्ब सभी आवश्यक वस्तुए उपलब्ध कराने हेतु सम्बंधित व्यक्तियों को अविलम्ब निर्देशित करने की कृपा करे | जिससे 236 परिवारों को इस संकट के समय भुखमरी से बचाया जा सके |
संलग्नक :
ऑनलाइन समाचार पोर्टल "क्विंट हिंदी" का लिंक
https://hindi.thequint.com/news/india/covid-19-lockdown-impact-on-tayo-workers-in-jharkhand
भवदीय
डा0 लेनिन रघुवंशी
सीईओ
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
+91-9935599333
झारखंड लॉकडाउन: 236 परिवार भुखमरी के शिकार, मदद नहीं, मिली फटकार
मोहम्मद सरताज आलमUPDATED: 14H 43M AGO
लॉकडाउन की वजह से झारखंड में सरायकेला जिले के 236 परिवार भुखमरी के शिकार हो रहे हैं. 236 कर्मचारी जब टायो कंपनी में कार्यरत थे तो खुशहाल थे. कंपनी बंद होने के बाद दैनिक मजदूरी करते थे लेकिन अब लॉकडाउन में रोटी को तरस रहे हैं. इन मजदूरों ने प्रशासन से मदद मांगी लेकिन उन्हें मदद नहीं, दुत्कार मिली.
25 मार्च को टायो के पूर्व कर्मचारी जिला प्रशासन के पास अपना दर्द बताने पहुंचे, लेकिन वहां मायूसी ही हाथ लगी. क्विंट से बातचीत में पूर्व टायोकर्मी अजय शर्मा ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा- "हम लोग जिला प्रशासन के पास बड़ी उम्मीद लेकर गए थे. हमने उन्हें बताया कि हम सभी टायोकर्मी हैं, हम लोगों को 45 महीने से वेतन नहीं मिला है. इस बीच हम अपना पेट चलाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने लगे. अब देशभर में 21 दिन चलने वाले लॉकडाउन की वजह से हम भूखे मर रहे हैं."
"डीसी साहब ने बड़ी बेरुखी से कह दिया कि राशन कार्ड बनवा लीजिए. हमने कहा साहब राशन कार्ड बनने में समय लग जाएगा. तत्काल अनाज उपलब्ध करवाकर मदद कीजिए वरना हम सभी भूखे मर जाएंगे. इस पर DC ने कहा कि हम कहां से करें? क्या अपने पॉकेट से करें? हम कुछ नहीं कर सकते."
संतोष सिंह, कैंसर पीड़ित और टायो के पूर्व कर्मचारी
कैंसर पेशेंट: संतोष सिंह(फोटो: मोहम्मद सरताज आलम)
डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर ने क्विंट से क्या कहा
जब डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर से क्विंट ने बात की, तो DC अंजनेयुलु डोडे ने कहा, "हम क्या मदद कर पाएंगे." इस पर हमने कहा, सर जब कल टायोकर्मी आपके पास आए थे तब आपने मदद नहीं की? इसपर उन्होंने कहा, 'उनकी क्या मदद करें, आप बताइए?' हमने कहा- आप DC हैं आप बताइए, हम तो यह जानना चाहते हैं कि उनको आप क्या मदद कर रहे हैं? इस बात पर उन्होंने कहा, 'हम चावल दे पाएंगे.' हमने पूछा- 'कब?' तो कहने लगे उनको खबर कर दीजिए आकर ले जाएं.
क्यों सड़क पर आए टायोकर्मी?
झारखंड के सरायकेला जिले में रहने वाले 236 कर्मचारी टायो कंपनी में काम करते थे. लेकिन साल 2016 में ये कंपनी अचानक बंद हो गई. सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए. इसके बाद पेट की खातिर इन लोगों ने दिहाड़ी मजदूरी करनी शुरू कर दी. जिससे किसी तरह दो टाइम की रोटी नसीब होने लगी. इन लोगों ने इससे पहली की झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास 15 बार मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
अब कोरोनावायरस को लेकर चल रहे लॉकडाउन की वजह से इनके घरों में भुखमरी का आलम था. लॉकडाउन के बाद इन्होंने मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन से भी मदद मांगी लेकिन फिलहाल तो वहां से भी निराशा ही हाथ लगी
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